द्रव्य क्या है और यह कितने प्रकार के होते हैं? Matter in Hindi

द्रव्य क्या है
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ब्रह्मांड की प्रत्येक वस्तु अणुओ-परमाणुओं से मिलकर बनी है और हर वस्तु का अपना कुछ ना कुछ भर अवश्य ही होता है। कुछ बहुत सूक्ष्म प्राणी जिन्हें हम नगर आंखों से नहीं देख सकते उन्हें भी कुछ ना कुछ आकार या भार होता है और उनकी कुछ भौतिक अवस्था में भी होती हैं। इन सभी भौतिक अवस्थाओं के सम्मिलित रूप को द्रव्य कहते हैं। द्रव्य की तीनों अवस्थाएं हमने आर्टिकल द्रव्य क्या है में अच्छे से बताई हैं।

आज इस आर्टिकल द्रव्य क्या है के माध्यम से हम द्रव्य के बारे में बहुत सारी चर्चा करने वाले हैं। आज हमारे द्वारा द्रव्य के प्रकार, द्रव्य के गुण, द्रव्य पदार्थों के नाम, द्रव्य की परिभाषा जैसे कई महत्वपूर्ण प्रश्नों को शामिल किया गया है। ये प्रश्न उन छात्रों के लिए बहुत उपयोगी हो सकते हैं जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तयारी कर रहे हैं। तो चलिए बढ़ते हैं अपने आर्टिकल को और।

द्रव्य क्या है? What is Matter?

प्रकृति में उपस्थित हर वह चीज जो अपने अंदर द्रव्यमान रखती है और जगह घेरती है उसे द्रव्य कहते हैं। उदाहरण के लिए लकड़ी पृथ्वी, हवा, पानी, मोबाइल, मिट्टी आदि। इन पदार्थों को हम अपने अंगों के द्वारा अनुभव कर सकते हैं। अर्थात द्रव्यों को हम महसूस कर सकते हैं।

आर्टिकल द्रव्य क्या है के अगले पैराग्राफ में आपको द्रव्यों के प्रकार विस्तार से बताएं जायेंगे।

गैस किसे कहते हैं?

द्रव्य के प्रकार कितने होते हैं? How many types of Matters in Hindi?

द्रव्य क्या है परिभाषा जानने के बाद अब हम आपको द्रव्य के प्रकार के बारे में बताने जा रहे हैं। वैज्ञानिकों के द्वारा द्रव्य को भौतिक एवं रासायनिक गुणों के आधार पर तीन भागों में वर्गीकृत किया है। तीनों भागों का वर्णन निम्न प्रकार है –  ठोस, द्रव तथा गैस

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ठोस (Solids)

वे द्रव्य जिनका आकार और आयतन निश्चित होता है, ठोस कहलाते हैं। रेडियो, ईट, पत्थर, मोबाइल आदि ठोस के उदाहरण हैं।

इन पदार्थों के अणुओं के मध्य प्रबल अंतरा आणविक बल लगता है। इन पर दाब लगाने का प्रभाव अधिक नहीं रहता है। ठोसों के अणुओं के मध्य अंतरा आणविक स्थान बहुत कम होता है।

द्रव (Liquid)

वे द्रव्य पदार्थ जिनका आयतन तो निश्चित होता है परंतु आकार निश्चित नहीं होता है, द्रव कहलाते हैं। दूध, पानी, खून आदि द्रव के उदाहरण हैं।

इन पदार्थों के अणुओं के मध्य लगने वाला अंतरा आणविक बल ठोसों के तुलना में कम होता है। और इनके अणुओं के मध्य अंतरा आणविक स्थान ठोसों की तुलना में अधिक होता है।

गैस (Gas)

ऐसे द्रव्य पदार्थ जिनका आकार और आयतन दोनों ही अनिश्चित होते हैं गैस कहलाते हैं। ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन आदि गैस पदार्थ के उदाहरण हैं।

इन पदार्थों के अणुओं के मध्य लगने वाला अंतरा आणविक बल ठोस और द्रव की तुलना में बहुत कम होता है। तथा अणुओं के मध्य अंतरा आणविक स्थान काफी ज्यादा होता है।

द्रव्य के गुण क्या हैं? What are the characteristics of Matter?

अपने आर्टिकल द्रव्य क्या है के माध्यम से अब हम आपको द्रव्य के कुछ प्रमुख गुण बताने जा रहे हैं, जिनके आधार पर आप द्रव्य को भली भांति समझ सकते हैं। तो चलिए देख लेते हैं द्रव्य के मुख्य गुण –

आयतन (Volume)

प्रत्येक द्रव्य कुछ स्थान गिरता है अतः उसके पास कुछ ना कुछ आयतन अवश्य होता है। ठोस और द्रव का आयतन निश्चित होता है, परंतु गैस में यह आयतन निश्चित नहीं होता है।

घनत्व (Density)

संसार के प्रत्येक द्रव्य का कुछ ना कुछ घनत्व होता है। एकांक आयतन में किसी पदार्थ के जितनी मात्रा उपस्थित होती है उसे उस पदार्थ का घनत्व कहते हैं। द्रवों का घनत्व आपके ऊपर भी निर्भर करता है। उदाहरण के लिए यदि 100 डिग्री सेंटीग्रेड टेंपरेचर पर तथा 1 atm दाब पर जल का घनत्व 0.958 ग्राम प्रति सेंटीमीटर होता है। और जलवाष्प का घनत्व इन्हीं भौतिक अवस्थाओं में 0.000588 ग्राम प्रति सेंटीमीटर होता है।

विसरण (Diffusion)

विसरण एक ऐसी क्रिया है जिसमें अणु एक स्थान से किसी दूसरे स्थान की ओर गति करते हैं। गैस की अवस्था में वितरण की प्रक्रिया अत्यंत तेज हो ती है। पेड़ पौधों में गैसों का स्थानांतरण एक स्थान से दूसरे स्थान तक विसरण की क्रिया के द्वारा ही होता है। इस प्रक्रिया में अधिक अणुओं से कम अणुओं की ओर गति होती है।

वाष्पीकरण (Vaporization)

किसी पदार्थ का द्रव अवस्था से गैस अवस्था में बदलना वाष्पीकरण कहलाता है। अर्थात हमारे कहने का तात्पर्य यह है कि वाष्पीकरण वह प्रक्रिया होती है जिसमें द्रव्य की द्रव अवस्था अर्थात जल को गैस की अवस्था अर्थात वाष्प में बदल दिया जाता है। इस प्रक्रिया में द्रव के अणु सत्य से निकलकर ऊपर उच्च स्थान में चले जाते हैं।

वाष्पीकरण की ऊष्मा किसे कहते हैं? What is called heat of Vaporization?

किसी द्रव को एक नियत ताप पर वाष्पीकृत होने के लिए जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है उसे वाष्पीकरण की ऊष्मा या फिर वाष्पन ऊष्मा कहते हैं। यह ऊष्मा का मान इस बात पर निर्भर करता है कि द्रव के अणुओं के मध्य कितना प्रबल अंतरा आणविक बल लगता है। जितना अधिक अंतरा आण्विक बल लगेगा उतनी ही heat of Vaporization ज्यादा होगी।

द्रव्य के गतिज सिद्धांत से आप क्या समझते हैं? What do you understand by Kinetic Theory of matter?

अभी तक आपने आर्टिकल द्रव्य क्या है में बहुत अहम जानकारियों को पड़ा होगा। अब हम आपको द्रव्य के गतिज सिद्धांत के बारे में जानकारी देंगे।

द्रव्य के गुणों की व्याख्या करने के लिए वैज्ञानिक James Clerk Maxwell ने एक सिद्धांत दिया, जिसे द्रव्य का गति सिद्धांत कहते हैं। इस सिद्धांत के अनुसार कुछ बातें निम्न प्रकार हैं –

  • कोई भी पदार्थ अथवा द्रव्य कई छोटे कणों से मिलकर तैयार होता है जो कि स्वतंत्र अवस्था में रह सकते हैं। इन्हीं छोटे कणों को अणु या मॉलिक्यूल कहते हैं।
  • द्रव्य पदार्थों का ताप बढ़ाने से उनके अणुओं की गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है।
  • पदार्थों के अणुओं के बीच में प्रतिकर्षण और आकर्षण का बल लगता है।
  • द्रव्य के और लगातार गति करते रहते हैं जिस से यह ज्ञात होता है कि उनमें गतिज ऊर्जा समाहित होती है।
  • अणुओं के मध्य में कुछ रिक्त का यह रिक्त स्थान पाए जाते हैं जिन्हें अंतरा आणविक स्थान (Intermolecular Spaces) कहते हैं।
  • अणुओं का आकार पूर्णता प्रत्यास्थ गोले की तरह होता है और यह कठोर तथा चिकने होते हैं।

द्रव किसे कहते हैं?

निष्कर्ष –

दोस्तों आज के अपने मुख्य आर्टिकल द्रव्य क्या है में हमने जाना की द्रव्य किसे कहते हैं? द्रव्य पदार्थों किसे कहते हैं? हमने द्रव्य के प्रकार और द्रव्य के गुण के बारे में भी विस्तार से जाना। परंतु यदि अभी भी आपका कोई प्रश्न इस आर्टिकल द्रव्य क्या है से संबंधित शेष रह गया हो तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर सूचित करें। मिलते हैं अब एक नए आर्टिकल के साथ, तब तक के लिए नमस्कार।

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