जल का सूत्र क्या है इसकी परिभाषा, उपयोग, प्रकार तथा क्वथनांक
हम आज आपको एक बहुत महत्वपूर्ण रासायनिक पदार्थ जिसे कि हम जल कहते हैं के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं। जल के बारे में तो हर कोई जानता होगा परंतु इसकी विशेषताओं के बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे। इसलिए हम आपके लिए आज का यह महत्वपूर्ण लेख जल का सूत्र लेकर आए हैं। मानव के कई अनैछिक कार्यों से जल काफी मात्रा में प्रदूषित हो चुका है अतः इसे बचाना भी हमारा एक कर्तव्य है। यदि अपने जल प्रदूषण वाला लेख नही पड़ा है तो आप नीचे लिंक से उसे पास सकते हैं।
हम आज आपको बताएंगे कि जल का सूत्र क्या होता है, Jal Ka Rasayanik Sutra Kya Hai, जल का रासायनिक नाम क्या होता है, जल से बिजली का उत्पादन कैसे होता है, जल का जीवो के जीवन में क्या महत्व है आदि। इसके अलावा क्या आपको पता है कि water ka rasayanik sutra क्या है। हम आपके सभी प्रश्नों का उत्तर आज इस लेख के माध्यम से देंगे। आप इस लेख में अंत तक बने रहे।
जल क्या है और जल का सूत्र क्या है?
Water or जल का सूत्र H₂O होता है जल एक तरल पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन और एक ऑक्सीजन का परमाणु से मिलकर बना होता है। जल का अणु भार 18 होता है। जल में कुल 10 इलेक्ट्रॉन और 10 प्रोटॉन होते हैं। जल को सामान्यता पानी भी कहा जाता है। जल और पानी एक ही चीज होती हैं। और Pani Ka Formula भी H₂O ही होता है। जल का रासायनिक नाम हाइड्रोन डाई ऑक्साइड होता है। जल का क्वथनांक 100⁰C होता है और गलनांक 0⁰C होता है। इन सभी जानकारियों के बाद आपको यह समझ आ गया होगा
जल के प्रकार
पानी कई प्रकार का हो सकता है। इसके वर्गीकरण के आधार भिन्न भिन्न हो सकते हैं। जैसे की शुद्ध जल और अशुद्ध जल। रासायनिक क्रियाओं के आधार पर बात करें तो हल्का जल और भरी जल। पर्यावरण को आधार मान कर बात की जाए तो यह प्रदूषित जल, अशुद्ध जल, शुद्ध जल, उपयोगी जल आदि हो सकता है।
जल की विशेषताएं
जले बहुत महत्वपूर्ण रासायनिक पदार्थ है जिसके बिना जीवन असंभव है। चलिए अब अपने इसलिए जल का सूत्र में हम इसके कुछ विशेषताओं के बारे में बात कर लेते हैं –
रासायनिक संरचना
जब दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु आपस में मिलकर एक अणु का निर्माण करते हैं तब जल का निर्माण होता है। सर्व प्रथम वैज्ञानिक प्रिस्टले ने प्रयोगशाला में विद्युत आर्क विधि के द्वारा जल का निर्माण किया था। यह प्रयोग सन 1781 में किया गया था। इस प्रयोग के पश्चात में यह भी पता चला कि यदि जल का विद्युत अपघटन कराते हैं तो पुनः हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैस प्राप्त होती है।
जल के बिना जीवन की कल्पना करना संभव नहीं है अर्थात जल ही जीवन का आधार है। जल द्रव अवस्था के अलावा ठोस अवस्था और गैस की अवस्था में भी पाया जाता है।
pH
शुद्ध एवं आसुत जल का पीएच 7 के बराबर होता है। जल एक उदासीन तब है अर्थात ना तो यह अम्ल की श्रेणी में आता है और ना ही इसे क्षार की श्रेणी में रख सकते हैं। परंतु समंदर में उपस्थित जल में अधिक लाभ मिले हुए होते हैं जिसके कारण वह खारा हो जाता है और स्वाद में कड़वा भी होता है। समुद्री जल के खारा या लवणीय होने का मुख्य कारण उसमें उपस्थित सोडियम क्लोराइड होता है।
रंग
जल का कोई भी रंग नहीं होता है ना ही इसमें किसी प्रकार की महक आती है। यह पूर्ण रूप से रंगहीन और पारदर्शी होता है। इसे जिस किसी प्रकार के रंग में मिला दिया जाता है यह उसी का रंग धारण कर लेता है। मुख्यता द्रव होने के कारण इसका कोई आकार भी नहीं होता है। यह जिस पात्र में रख दिया जाता है उसी पात्र का आकार ले लेता है है।
सर्वश्रेष्ठ विलायक
जल एक बहुत महत्वपूर्ण विलायक है। यह अधिकतर चीजों को अपने अंदर घोलने की असीम क्षमता रखता है। विभिन्न प्रकार के पदार्थों को भोजन के रूप में लेने से पहले जल में घोलकर तैयार करना पड़ता है। जैसे की juice, चाय, रसीले द्रव्य आदि।
जल किन किन स्रोतों से प्राप्त होता है?
अपने इस लेख जल का सूत्र में हम अब उन बातों को जानने का प्रयास करेंगे जो जल के स्रोतों के बारे में व्याख्या करते हैं तो चलिए शुरू करते हैं –
समुद्र
यह जल का एक बहुत बड़ा स्रोत है। परंतु अत्यधिक खारा होने के कारण है पानी पीने योग्य नहीं होता है। समुद्र के जल में घुले हुए लवणों की प्रतिशत मात्रा 3.5 होती है एवं इसका घनत्व 2.75 gm/cm³ होता है। इसके अलावा इस इस जल में कई और तत्व पाए जाते हैं जैसे कि कार्बन, सल्फर, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम आदि।
नदियां
नदिया के जल का एक अच्छा स्रोत होती है और यह जल समुद्रों की तरह खारा नहीं होता है। नदियों का निर्माण पहाड़ों से निकलने वाले ग्लेशियर से होता है। जब बर्फ के पहाड़ पर पिघलते हैं तो नदियों का निर्माण होता है। पहाड़ों से निकलने वाला जल एकदम शुद्ध और स्वच्छ होता है परंतु जैसे ही यह मैदानी इलाकों में आता है तो इसमें कई प्रकार की अशुद्धियां और गंदगी मिल जाते हैं जिससे कि यह जल दूषित हो जाता है।
वर्षा का जल
इस स्रोत के बारे में तो सभी लोग परिचित होंगे ही। वर्षा का जल सबसे शुद्ध जल माना जाता है। वर्षा के जल का निर्माण सम्मेलन की प्रक्रिया के द्वारा होता है। आज के युग में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण वायुमंडल में विभिन्न प्रकार के हानिकारक तत्वों जैसे कि सल्फर, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जमा हो गए हैं जिससे वर्षा का जल भी काफी हद तक प्रदूषित हो जाता है। सल्फर डाइऑक्साइड जल से क्रिया करके सल्फ्यूरिक अम्ल का निर्माण करता है और अम्लीय वर्षा देखने को मिलती है।
जमीन के अंदर का जल
पृथ्वी के अंदर विशाल मात्रा में जल का भंडार है जो कि पीने योग्य भी है। वर्षा का जल धीरे-धीरे, रिस रिस कर भूगर्भ की प्लेटों के माध्यम से नीचे जमा होता रहता है और इसमें कई प्रकार के तत्व जैसे कि मैग्नीशियम, सोडियम, कैल्शियम आदि मिल जाते हैं। किसानों के द्वारा भूमि पर लगाए जाने वाले कई प्रकार के कीटनाशक के कारण यह जल प्रदूषित हो गया है।
जल के उपयोग
अब हम अपने किस लेख जल का सूत्र के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके हैं जिसमें हम आपको बताएंगे कि जेल के क्या उपयोग होते हैं। जल के उपयोग निम्न प्रकार है –
- जल एक ऐसा रासायनिक पदार्थ है जिसके बिना जीवन की कल्पना करना भी उचित नहीं है। अतः यह कहा जाता है कि जल है तो जीवन है।
- बिजली के उत्पादन में जल बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बड़े बड़े टर्बाइन जल की शक्ति और वेग से ही घुमाए जाते है और बिजली का उत्पादन करते हैं।
- जल का इस्तेमाल रासायनिक अभिक्रिया में विलायक के रुप में किया जाता है। बहुत सी अभिक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए जल की आवश्यकता होती है।
- कृषि कार्य में फसलों की सिंचाई हेतु जल के बेहद आवश्यक पदार्थ है। इसके बिना फसलों का उत्पादन संभव नही हो सकता है।
निष्कर्ष
दोस्तों आज के इस लेख में हमने आपको बताया कि जल का सूत्र क्या है, इसके उपयोग और विशेषताओं के बारे में। अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं।