भारी जल का सूत्र क्या है इसके उपयोग, अणुभार, गुण तथा pH मान

भारी जल का सूत्र
4/5 - (1 vote)

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी हिंदी केमिस्ट्री की वेबसाइट पर एक नए आर्टिकल भारी जल का सूत्र के साथ। हमने अपने पहले के आर्टिकल्स में सामान्य पानी के बारे में बताया था, आज हम आपको D2O के बारे में जिसे की भारी जल (Bhari Jal) कहा जाता है के बारे में विस्तार से बताएंगे। सामान्य जल की तरह इस जल की भी कुछ विशेषताएं होती हैं तथा यह हाइड्रोजन के दूसरे समस्थानिक ड्यूटीरियम और ऑक्सीजन से मिलकर बना होता है। इसके कोई महत्वपूर्ण उपयोगी के कारण ही है रसायन विज्ञान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो आज हम अपने इस लेख में विस्तार से जानने वाले हैं।

तो आज हम जिन महत्वपूर्ण प्रश्नों की बात करेंगे वह कुछ इस प्रकार से हो सकते हैं कि भारी जल का सूत्र क्या होता है (Bhari Jal Ka Sutra Kya Hai), भारी जल का pH मान, भारी जल का सूत्र एवं उपयोग आदि। आप इन प्रश्नों को अच्छे से कंठस्त करें। क्योंकि भारी जल से संबंधित बहुत सारे प्रश्न तरह-तरह की परीक्षा में पूछे जाते हैं। अतः इस प्रकार यह लेख बहुत महत्वपूर्ण होने जा रहा है तो इसे अंत तक अवश्य पढ़ें। चलिए शुरू करते हैं अपना आज का महत्वपूर्ण लेख भारी जल का सूत्र।

जल का सूत्र क्या है?

भारी जल क्या है?

जिस प्रकार हाइड्रोजन के दो अणु और ऑक्सीजन का एक अणु आपस में मिलकर जल का निर्माण करते हैं। उसे हम साधारण चल कहते हैं परंतु जब हाइड्रोजन का समस्थानिक ड्यूटीरियम ऑक्सीजन के साथ किया करके ऑक्साइड बनाता है तब इसे भारी जल कहा जाता है। भारी जल का सूत्र D2O होता है। 

भारी जल का सूत्र = D2O

वैज्ञानिक एचसी यूरे और ईडब्ल्यू वाश वार्न ने सर्वप्रथम भारी जल की खोज की थी। इन्होंने अपनी रिसर्च में पता लगाया कि सामान्य जल केयर 6000 भागों में लगभग एक भाग ऐसा होता है जो भारी जल का बना होता है। इस भारी जल का इस्तेमाल नाभिकीय रिएक्टर में न्यूट्रॉन की गति को मंद करने के लिए किया जाता है।

भारी जल बनाने की विधियां

अब बात आती है कि आखिर भारी जल का निर्माण कैसे किया जाता होगा। अपने इस लेख भारी जल का सूत्र में से विस्तार से जानेंगे। भारी जल के निर्माण की दो विधियां निम्नलिखित दी गई है:

1. जल के विद्युत अपघटन द्वारा

जब जल का विद्युत अपघटन कराया जाता है तो हाइड्रोजन का दूसरा समस्थानिक ड्यूटीरियम की तुलना में हाइड्रोजन लगभग 5 से 6 गुना से अधिक तेजी से मुक्त होती है। अतः एक निम्न क्रम में यदि भारी जल का विद्युत अपघटन कराया जाए तो उससे भारी जल प्राप्त किया जा सकता है।

2. ड्यूटीरियम द्वारा भारी जल का निर्माण

साधारण हाइड्रोजन का प्रभाजी आसवन या फिर गैसीय वितरण कराने पर ड्यूटीरियम को अलग किया जा सकता है। इसके पश्चात पृथक की गई ड्यूटीरियम को यदि ऑक्सीजन के साथ जलाया जाता है, तब ड्यूटीरियम का ऑक्साइड प्राप्त होता है जिसे ही हम भारी जल कहते हैं।

भारी जल का सूत्र

भारी जल के भौतकीय गुण

इस भारी जल के गुण निम्नलिखित दिए गए हैं :

  • भारी जल में कोई रंग नहीं होता है , ना ही किसी प्रकार की गंध आती है तथा यह स्वाद हीन होता है।
  • भारी जल का pH 7.35 होता है।
  • भारी जल का अणुभार है 20.02 ग्राम प्रति मोल होता है।
  • इस जल का गलनांक 276.5 केल्विन तथा क्वथनांक 374.5 केल्विन होता है।
  • यह जल 298 केल्विन ताप पर 1.1059 ग्राम प्रति सैंटीमीटर क्यूब का घनत्व दर्शाता है।
  • भारी जल साधारण जल की तुलना में मंद गति से काम करता है।
  • चूँकि D2O का घनत्व H2O के घनत्व से लगभग 11 % अधिक है, ड्यूटेरियम ऑक्साइड से बना एक आइस क्यूब सामान्य पानी में डूब जाएगा।

भारी जल के उपयोग

अपने इस लेख भारी जल का सूत्र के अंतर्गत अब हम आपको इसके उपयोग के बारे में एक महत्वपूर्ण सूची प्रदान करने जा रहे हैं। इसके उपयोग निम्न प्रकार से है:

  • ड्यूटीरियम के निर्माण में भारी जल का प्रयोग किया जाता है।
  • प्रकाश संश्लेषण तंत्र स्वसन तंत्र के अध्ययनों के लिए अनुरेखक के रूप में भारी जल का प्रयोग किया जाता है।
  • डी 2 ओ का उपयोग एनएमआर (परमाणु चुंबकीय अनुनाद) स्पेक्ट्रोस्कोपी में किया जाता है, जिसका उपयोग परमाणुओं के नाभिक के आसपास चुंबकीय क्षेत्र का निरीक्षण करने के लिए किया जाता है।
  • ड्यूटी रियम ऑक्साइड की सहायता से कई प्रकार के कार्बनिक योगिक और उनके समस्थानिक तैयार किए जाते हैं।
  • न्यूट्रॉन को धीमा करने के लिए परमाणु रिएक्टर में एक मॉडरेटर के रूप में भारी जल का इस्तेमाल होता है। चूंकि यह तेजी से चलने वाले न्यूट्रॉन को धीमा कर सकता है ताकि वह 238 Uranium आइसोटोप के बजाय 235 Uranium आइसोटोप के साथ अभिक्रिया कर सकें ।
  • जानवरों में तथा मनुष्यों में मेटाबॉलिक दर का पता D2O भारी ऑक्सीजन वाटर के मिश्रण से लगाया जाता है।
  • ट्रिटियम (नियंत्रित परमाणु संलयन प्रतिक्रियाओं में प्रयोग होने वाला सक्रिय पदार्थ) तब बनता है जब भारी पानी में उपस्थित ड्यूटेरियम एक न्यूट्रॉन को पकड़ लेता है।
  • इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कॉपी में नॉर्मल पानी की बजाए सामान्यता भारी पानी का इस्तेमाल किया जाता है।

भारी जल के उपयोग

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न. भारी जल की सर्वप्रथम खोज किसने की थी?
उत्तर. वैज्ञानिक एचसी यूरे और ईडब्ल्यू वाश वार्न ने सर्वप्रथम भारी जल की खोज की थी।

प्रश्न. भारी जल का रासायनिक सूत्र क्या होता है?
उत्तर. भारी जल का सूत्र D2O है।

प्रश्न. भारी जल का क्वथनांक का मान क्या होता है?
उत्तर. इसका कुछ नाम 101.4 डिग्री सेंटीग्रेड होता है तथा यह पानी से थोड़ा अधिक है।

प्रश्न. पानी का रेडियोधर्मी रूप का सूत्र लिखिए?
उत्तर. हाइड्रोजन के तीसरे समस्थानिक ट्रीटीअम का ऑक्साइड रेडियोधर्मी जल का रूप है।

प्रश्न. किन विधियों द्वारा भारी जल का निर्माण किया जाता है?
उत्तर. भारी जल का विद्युत अपघटन कराने पर भारी जल प्राप्त होता है।

प्रश्न. क्या भारी जल का सेवन किया जा सकता है?

उत्तर. ज्यादातर समय जब हम भारी पानी अर्थात ड्यूटीरियम ऑक्साइड के बारे में बात करते हैं तो हम इसे परमाणु रिएक्टरों और रेडियोधर्मी सामग्री से जोड़कर देखते हैं। हालांकि, शुद्ध भारी पानी रेडियोधर्मी नहीं होता है और इंसानों द्वारा यदि इसे कम मात्रा में ग्रहण कर लिया जाए तो यह  इतना हानिकारक नहीं होता है। भारी जल का सेवन करना मनुष्य तथा जानवरों के लिए तभी हानिकारक हो सकता है जब आप इसे अधिक मात्रा में ग्रहण कर ले। इसके अधिक सेवन से चक्कर आना और रक्तचाप में कमी जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं।

नार्मलता किसे कहते हैं?

निष्कर्ष

आज आपने भारी जल से संबंधित बहुत सारी जानकारी प्राप्त की और आपने जाना की भारी जल का सूत्र क्या होता है (Bhari Jal Ka Rasayanik Sutra), हम अपनी इस वेबसाइट पर कई प्रकार के Vigyan Ke Sutra लाते रहते हैं जो आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। अगर यह लेख आपको पसंद आया तो आप इसे अन्य लोगों में भी शेयर कर सकते हैं। बहुत जल्द मिलेंगे एक नए लेख के साथ।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *