आफबाऊ का नियम क्या है और आफबाऊ का नियम किसने दिया?
परमाणु के बारे में बहुत सारी खोजें समय-समय पर होती रहती हैं। इसके साथ ही समय-समय पर कई प्रकार के नियम भी परमाणुओं के संबंध में दिए जाते हैं। ऐसे ही एक बहुत विशेष नियम जिसे हम आफबाऊ का नियम कहते हैं इस लेख में आपके सामने विस्तार से बताएंगे। यह नियम परमाणु में इलेक्ट्रॉनों के भरे जाने के बारे में बहुत बातें बताता है। यह कुछ तत्वों को छोड़कर बाकी सभी तत्वों के स्थायित्व की भी व्याख्या करता है। अतः इस important नियम को जानने के लिए आपको हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़ना है।
परमाणु की संरचना से संबंधित अध्याय में आज हम जिन प्रश्नों के बारे में जानने वाले हैं वह कुछ इस प्रकार है कि आफबाऊ का नियम क्या है। आफबाऊ का सिद्धांत किसने दिया। आफबाऊ का नियम किसे कहते हैं। हुंड की अधिकतम बहुलता का सिद्धांत, (n+l) का नियम, कक्षक कितने प्रकार के होते हैं आदि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर हमने इस लेख में विस्तार से बताए हैं। अतः छात्रों से निवेदन है कि वह इस लेख को पूरा ध्यान से पढ़ें ताकि आपको यह ठीक से सब समझ में आ जाए।
आफबाऊ का नियम क्या है और आफबाऊ का नियम किसने दिया?
आफबाऊ शब्द की उत्पत्ति जर्मन भाषा से हुई है। इस शब्द का अर्थ होता है एक-एक करके भरना यह एक-एक करके जोड़ना। परमाणु में इलेक्ट्रॉन भरना अर्थात इलेक्ट्रॉन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास आफबाऊ के नियम पर आधारित होता है। इस नियम को नील्स बोहर और वोल्फगैंग पाउली ने दिया था।
इस नियम के अनुसार कक्षको में इलेक्ट्रॉन पहले कम ऊर्जा स्तर वाले कक्षको में भरे जाते हैं इसके बाद अधिक ऊर्जा स्तर वाले कक्षको में भरे जाते हैं।
अफबाऊ के नियम में तीन नियमों को शामिल किया गया है जो कि निम्नलिखित हैं –
- पाउली का अपवर्जन सिद्धांत
- हुंड की अधिकतम बहुलता का सिद्धांत
- (n+l) का नियम
पाउली का अपवर्जन सिद्धांत
पाउली के इस सिद्धांत के अनुसार किसी कक्षक में उपस्थित दो इलेक्ट्रॉनों की चारो क्वांटम संख्याओं का मान बराबर नहीं हो सकता है। उन दो इलेक्ट्रॉनों की केबल शुरुआत की तीन क्वांटम संख्याओं का मान ही बराबर हो सकता है। अंतिम क्वांटम संख्या जिसे spin quantum number कहते हैं, का मान दोनों इलेक्ट्रॉनिक लिए भिन्न-भिन्न होता है क्योंकि दोनों इलेक्ट्रॉन विपरीत चक्रण के होते हैं। यह नियम यह भी सिद्ध करता है कि किसी कक्षक में दो इलेक्ट्रॉन जो की विपरीत चक्करण के होते हैं, के अलावा और अधिक electrons नहीं पाए जा सकते।
हुंड की अधिकतम बहुलता का सिद्धांत
यह नियम वैज्ञानिक हुंड ने दिया था। इस नियम के अनुसार एक समान ऊर्जा के किन्ही कक्षको में इलेक्ट्रॉन पहले एक-एक करके भरे जाते हैं इसके बाद दोबारा भरने पर उनका युगमन होता है। परमाणु अपने आप को स्थाई रखने के लिए ऐसा करता है क्योंकि जब orbitals या कक्षको में एक-एक करके electrons जाते हैं तब उनमें प्रतिकर्षण कमान कम रहता है और एक सिमिट्रिकल (सम्मितता) अरेंजमेंट रहता है जिससे कि परमाणु का स्थायित्व और बढ़ जाता है।
(n+l) का नियम
यह नियम भी इलेक्ट्रॉनों के भरने के बारे में बताता है। यह नियम बताता है कि इलेक्ट्रॉन पहले उन ऊर्जा स्तरों के उपकोशो में भरे जाते हैं जिनके लिए (n+l) का मान कम होता है। और यदि किन्ही दो ऊर्जा स्तरों के उपकोशो के लिए (n+l) का मान बराबर आता है तो इलेक्ट्रॉन पहले उस उपकोष में जाते हैं जिसके लिए n की value का मान न्यूनतम होता है।
अतः इस नियम के अनुसार कक्षको में इलेक्ट्रॉन भरने का एक क्रम बनाया गया, जो कि निम्न प्रकार है –
(1s) < 2s < (2p) < (3s) < (3p) < (4s) < (3d) < (4p) < (5s) < (4d) < (5p) < (6s) < (4f) < (5d) < (6p) < (7s) < (5f) < 6d) < (7p) < (8s)
कुछ तत्व ऐसे होते हैं जो आप बाबू के नियम का पालन नहीं करते हैं जैसे कि क्रोमियम, चांदी, तांबा और सोना। यह तत्व अधिक स्थायित्व पाने के लिए आफबाऊ के नियमों का उल्लंघन कर जाते हैं।
कक्षक कितने प्रकार के होते हैं?
परमाणु के अंदर उपस्थित कक्षक चार प्रकार के होते हैं इन चारों प्रकार के रक्षकों को हम अपने इस लेख आफबाऊ का नियम में विस्तार से आपको बताने जा रहे हैं। कक्षक निम्नलिखित हैं –
S कक्षक
S उपकोश सिर्फ एक कक्षक के द्वारा बना होता है। जिसे हम s कक्षक कहते है। इसकी संरचना गोलाकार होती है। यह कक्षक आदिशात्मक होते हैं।
P कक्षक
परमाणु में उपस्थित P उपकोष तीन कक्षाओं से मिलकर बना होता है। जो की Px, Py तथा Pz होते हैं। इन कक्षा को की संरचना डंबल के आकार की होती है। यह कक्षक दिशात्मक होते हैं।
D कक्षक
परमाणु के D उपकोश में पांच d कक्षक पाए जाते हैं। अर्थात इसका निर्माण पांच d कक्षको के द्वारा किया जाता है जो कि dxy, dyz, dzx, dx²-y² और dz² होते हैं। इनमें से शुरू के 3 कक्षक अर्थात dxy, dyz, dzx अक्ष (axis) के बीच में स्थित होते हैं। इसके अलावा अन्य शेष दो कक्षक dx²-y² और dz² अक्षों पर उपस्थित होते हैं।
F कक्षक
इस प्रकार के उपकोष 7 कक्षकों से मिलकर बने होते हैं। इनकी संरचना जटिल होती है अर्थात इनके संरचना के बारे में कुछ भी व्याख्या नहीं की जा सकती है।
आफबाऊ नियम से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न – कौन से कक्षक का आकार गोलाकार होता है?
उत्तर – s कक्षा का आकार गोलाकार होता है।
प्रश्न – D उपकोश में कितने कक्षक पाए जाते हैं?
उत्तर – D उपकोश में कुल 5d कक्षक पाए जाते हैं जो कि dxy, dyz, dzx, dx²-y² और dz² होते हैं।
प्रश्न – आफबाऊ का सिद्धांत किसने दिया?
उत्तर – इस नियम को नील्स बोहर और वोल्फगैंग पाउली ने दिया था।
प्रश्न – कक्षको में इलेक्ट्रॉन भरने का क्रम क्या होता है?
उत्तर – इलेक्ट्रॉन कक्षक ओं के भीतर पहले कम ऊर्जा स्तरों के कक्षको में भरे जाते हैं फिर अधिक ऊर्जा वाले कक्षको में भरे जाते हैं।
निष्कर्ष
तो दोस्तों हमने आज के इस लेख में कुछ प्रश्नों जैसे आफबाऊ का नियम, आफबाऊ का नियम उदाहरण सहित, Aufbau principle in hindi, आफबाऊ का सिद्धांत किसने दिया आदि जैसे कई महत्वपूर्ण प्रश्नों के बारे में जाना। उम्मीद करते हैं आपको हमारे यह लेख पसंद आया होगा और आपके लिए फायदेमंद साबित हुआ होगा। अगर आपका इससे संबंधित कोई प्रश्न है तो आप हमें कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। जल्द ही मिलेंगे एक नए आर्टिकल के साथ।