अपचयन किसे कहते हैं उदाहरण सहित समझाइए (Reduction in Hindi)
क्या आप जानते हैं कि जब किसी पदार्थ की ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि होती है या फिर उसकी ऑक्सीकरण संख्या में कमी होती है, तो इस फिनोमेना को क्या कहा जाता है? नमस्कार साथियों आपको एक बार फिर से स्वागत है हमारे हिंदी केमिस्ट्री के इस बेहतरीन वेबसाइट पर। आज हम आपको विस्तार से बताएंगे कि अपचयन किसे कहते हैं (Reduction Kise Kahte Hain)। इसके बारे में आपको कक्षा 9 से लेकर हायर क्लास तक पढ़ने को मिलता है परंतु बहुत महत्वपूर्ण विषय होने के बावजूद भी कुछ छात्र इस पर ध्यान नहीं देते हैं। इसलिए हम अपने इस लेख अपचयन किसे कहते हैं के माध्यम से आपको अपचयन के बारे में सरल भाषा में समझाने का पूर्ण प्रयास करेंगे।
अपचयन और ऑक्सीडेशन इलेक्ट्रॉनों की आदान-प्रदान के इर्द-गिर्द घूमता है। आज हम आपको अपचयन के साथ ऑक्सीकरण के बारे में भी संक्षेप में जानकारी देंगे ताकि आप इन दोनों को आपस में तुलनात्मक रूप से पढ़ पाए और अच्छे से समझ पाए। रसायन विज्ञान के अन्य महत्वपूर्ण आर्टिकल्स के लिए आप हमारी वेबसाइट पर जाकर पढ़ सकते हैं। तो चलिए बिना किसी टाइम के अब शुरू करते हैं अपना महत्वपूर्ण लेख अपचयन किसे कहते हैं।
अपचयन की परिभाषा
जब किसी पदार्थ में ऑक्सीजन का हटना या किसी अन्य अधिक विद्युत ऋणात्मकता वाले तत्व का बाहर निकलना होता है तो इसे अपचयन कहा जाता है। इस निम्नलिखित उदाहरण से समझ सकते हैं
2ZnO => 2Zn + O2
2FeCl3 => 2FeCl + Cl2
इसको एक अन्य परिभाषा से इस प्रकार भी परिभाषित कर सकते हैं कि जब किसी पदार्थ के साथ तत्व हाइड्रोजन या अन्य धन विद्युत तत्व अर्थात धातु का जुड़ना होता है तब अपचयन कहलाता है। इस परिभाषा को आप निम्नलिखित उदाहरण से समझ सकते हैं
H2 + I2 => 2HI
इसकी एक तीसरी परिभाषा इस प्रकार भी मिलती है कि किसी तत्व की जब संयोजकता में कमी हो जाती है तब उसे अपचयन कहा जाता है। आशा करते हैं आपको अपचयन क्या है समझ में आया होगा।
इलेक्ट्रॉनिक अवधारणा क्या होती है?
इस अवधारणा के अंतर्गत यह बात बताई गई थी कि अभिक्रिया में हिस्सा लेने वाली इस प्रसिद्ध के द्वारा या तो इलेक्ट्रॉन को ग्रहण किया जाता है या फिर इलेक्ट्रॉन को त्याग दिया जाता है।
इसके अनुसार निम्नलिखित परिभाषाएं दी गई हैं –
ऑक्सीकरण
जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में परमाणु या किसी अणु या फिर आयन द्वारा इलेक्ट्रॉन त्यागे जाते हैं तो इलेक्ट्रॉन त्यागने वाले परमाणु और अणु या आयन का ऑक्सीकरण हो जाता है जिससे उसके ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि हो जाती है। ऑक्सीकरण को एक अन्य नाम विइलेक्ट्रॉनिक करण भी कहा जाता है और ऑक्सीकरण में परमाणु, अणु या आयन के धन आवेश में वृद्धि हो जाती है या फिर उसके ऋण आवेश में कमी हो जाती है।
उदाहरण :
आयरन का ऑक्सीकरण
FeCl2 ———-> FeCl3
अपचयन अभिक्रिया किसे कहते हैं?
जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में परमाणु या किसी अणु या फिर आयन द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण किए जाते हैं तो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने वाले परमाणु और अणु या आयन का अपचायन हो जाता है जिससे उसके ऑक्सीकरण संख्या में कमी हो जाती है। अपचयन को इलेक्ट्रॉनिक करण के नाम से भी जाना जाता है। इसमें धन आवेश में कमी हो जाती है या फिर ऋण आवेश में वृद्धि हो जाती है।
उदाहरण :
ऑक्सीजन का अपचयन
O2 + 4H+ + 4e ——> 2H2O
ऑक्सीकारक से आप क्या समझते हैं?
जिन परमाणुओं, अणुओं या आयनो के द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण किए जाते हैं उन्हें ऑक्सीकारक कहते हैं अर्थात इनका अपचयन हो जाता है। यहां कहने का तात्पर्य यह है कि ऑक्सीकारक पदार्थ इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके अपचयित हो जाते हैं।
अपचायक से क्या तात्पर्य है?
जिन परमाणुओं, अणुओं या आयनो के द्वारा इलेक्ट्रॉन त्याग किए जाते हैं उन्हें अपचायक कहते हैं अर्थात इनका ऑक्सीकरण हो जाता है। यहां कहने का तात्पर्य यह है कि अपचायक पदार्थ इलेक्ट्रॉन का त्याग करके ऑक्सीक्रत हो जाते हैं।
स्वतः ऑक्सीकरण अपचयन अभिक्रिया किसे कहते हैं?
कुछ अभिक्रिया ऐसी होती हैं जिनमें किसी एक पदार्थ का ही ऑक्सीकरण तथा उसी पदार्थ का अपचयन होता है। तो इस प्रकार की अभिक्रिया को आ समानुपाती या फिर स्वता ऑक्सीकरण अपचयन अभिक्रिया कहते हैं। इन अभिक्रिया में कोई एक पदार्थ ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों का कार्य एक साथ करता है।
आप उपरोक्त परिभाषा को निम्नलिखित उदाहरण से समझ सकते हैं-
ऑक्सीकरण अवस्था का क्या मतलब है?
यह एक प्रकार का काल्पनिक आवेश होता है जो किसी परमाणु से संलग्न सभी अन्य परमाणुओं को हटाने पर उस परमाणु पर उपस्थित पाया जाता है। इसे संख्याओं के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की ऑक्सीकरण अवस्था धनात्मक ऋण आत्मक तथा शून्य तीन प्रकार की हो सकती है। फ्लोरीन जिसे आवर्त सारणी में ग्रुप 17 के अंदर रखा गया है की ऑक्सीकरण अवस्था -1 होती है। उदासीन अणु के लिए ऑक्सीकरण अवस्था का मान शून्य होता है।
ऑक्सीकरण तथा अपचयन में अंतर
हम अपने इस लेख अपचयन किसे कहते हैं के माध्यम से अब आपको ऑक्सीकरण और अपचयन में अंतर बताने जा रहे हैं। यह अंतर निम्न प्रकार हैं –
- किसी भी पदार्थ के द्वारा ऑक्सीजन या फिर अन्य विद्युत ऋण आत्मक तत्व या फिर मूलक ग्रहण करने अथवा हाइड्रोजन या फिर अन्य के धन विद्युत तत्व या मूलक को त्याग करने की जो प्रक्रिया होती है उसे ऑक्सीकरण या उपचयन कहते हैं। वहीं दूसरी ओर जब किसी पदार्थ के द्वारा हाइड्रोजन या अन्य कोई धन विद्युत तत्व या फिर कोई मूल्य ग्रहण करा जाता है या फिर ऑक्सीजन या अन्य कोई विद्युत ऋणात्मक तत्व या मूलक का त्याग किया जाता है तो यह प्रक्रिया अपचयन कहलाती है।
- ऑक्सीकरण में तत्वों की संयोजकता का मान पड़ता है वहीं दूसरी और अपचयन में तत्वों की संयोजकता घटती है।
- जो ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि होती है तो उसे ऑक्सीकरण कहा जाता है और जब ऑक्सीकरण संख्या में कमी होती है तो उसे अपचयन कहा जाता है।
- जिन पदार्थों का ऑक्सीडेशन अर्थात ऑक्सीकरण होता है वह अपचायक कहलाते हैं जबकि जिन पदार्थों का अपचयन होता है बे ऑक्सीकरक कहलाते हैं।
कुछ प्रमुख ऑक्सीकारक पदार्थों के नाम और अणु सूत्र
- पोटैशियम डिक्रोमेट (K2Cr2O7)
- पोटैशियम परमैग्नेट (KmnO4)
- हाइड्रोजन पराक्साइड (H2O2)
- आयोडेट (KIO3)
- हैलोजन (Cl2 , Br2 , I2)
- नाइट्रिक अम्ल (HNO3)
कुछ प्रमुख अपचायक पदार्थों के नाम और अणु सूत्र
- पोटैशियम आयोडाइड (KI)
- स्टैनस क्लोराइड (SnCl2)
- सल्फर डाइऑक्साइड (SO2)
- फेरस अमोनियम सल्फेट (FeSO4.(NH4)2SO4.6H2O)
- हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S)
निष्कर्ष
साथियों आज हमने अपचयन के बारे में विस्तार से चर्चा की आशा करता हूं कि आप को अच्छे से समझ में आ गया होगा की अपचयन किसे कहते हैं (Apchayan Kise Kahte Hain) अपचयन अभिक्रिया किसे कहते हैं। अगर आपके लिए यह लेख महत्वपूर्ण रहा हो तो आप इसे अपने दोस्तों में शेयर कर सकते हैं। हम बहुत जल्द मिलेंगे एक नए लेख के साथ, तब तक के लिए नमस्कार।