पाउली अपवर्जन सिद्धांत क्या है उदाहरण सहित समझाइए
हेलो नमस्कार दोस्तों आपका हमारी रसायन विज्ञान की इस वेबसाइट हिंदी केमिस्ट्री में बहुत स्वागत है। यह आर्टिकल पावली के एक नियम पर आधारित है जिसे पाउली अपवर्जन सिद्धांत कहते हैं। अर्थात आप इस महत्वपूर्ण लेख में जानने वाले हैं कि पाउली अपवर्जन सिद्धांत क्या है। दोस्तों इलेक्ट्रॉनों के परमाणु कक्षा को में भरे जाने की स्थिति का नियंत्रण पाउली के इसी नियम के द्वारा होता है। कक्षा 11 के अध्याय परमाणु की संरचना, परीक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। उस अध्याय में पाउली का यह नियम देखने को मिलता है। अतः इसलिए को ध्यान पूर्वक अंत तक जरूर पढ़ें।
आज हम जिन प्रश्नों का उल्लेख करेंगे उनमें सबसे मुख्य प्रश्न है कि पाउली अपवर्जन सिद्धांत क्या है? पाउली का अपवर्जन सिद्धांत उदाहरण सहित समझाइए, पाउली का अपवर्जन नियम, पाउली सिद्धान्त में अपवर्जन शब्द का उपयोग क्यों होता है, अपवर्जन का अर्थ क्या है, Pauli Exclusion Principle in Hindi अतः इन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए हमारे इस लेख में अंत तक बने रहें। तो चलिए शुरू करते हैं अपना आज का आर्टिकल।
पाउली अपवर्जन सिद्धांत
यह पाउली का अपवर्जन सिद्धांत वुल्फगांग पाउली ने दिया था, इनके अनुसार दो समान फर्मिऑन एक ही समय में एक समान प्रमात्रा स्थिति में नहीं रह सकते। यह नियम सन 1925 में दिया गया था। दोस्तों आपके मन में यह विचार आता होगा की पाउली सिद्धान्त में अपवर्जन शब्द का उपयोग क्यों होता है, तो हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अपवर्जन का मतलब होता है अलग होना या भिन्नता रखना।
पाउली के इस नियम के अनुसार कुछ तथ्य निम्न प्रकार हैं –
- इस नियम के अनुसार प्रथम बात इलेक्ट्रॉन के संबंध में यह कही गई कि किसी कक्षक में उपस्थित दो इलेक्ट्रॉनों की सभी क्वांटम संख्या है समान नहीं हो सकती हैं।
- इस नियम के अनुसार अगले बिंदु में यह बताया गया है कि दो ऐसे कण जिन के गुणधर्म जैसे कि कोणीय संवेग, क्वांटम नंबर, कलर चार्ज आधी समान हो, किसी एक समय में एक साथ नहीं रह सकते हैं।
- इलेक्ट्रॉन को परमाणु कक्षको में भरते समय (n+l) नियम को फॉलो करते हैं। अर्थात जिस कक्षक के लिए n क्वाटम संख्या और l क्वाटम संख्या का मान न्यूनतम होगा, इलेक्ट्रॉन सर्वप्रथम उसी कक्षक में भरा जाएगा।
- पाउली के इस नियम को फॉलो करने वाले पदार्थों को फर्मिऑन कहा जाता है। यह फर्मिऑन, न्यूट्रॉन, इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन हो सकते हैं। तथा ऐसे कण जो इस नियम का पालन नहीं करते हैं उन्हें बेसोन कहा जाता है। बेसोन के उदाहरण फोटोन, ग्लूऑन, बोसान आदि हैं।
अपवर्जन सिद्धांत के अनुप्रयोग
चलिए अपने इसलिए के अंतर्गत वह आपको बताते हैं अपवर्जन सिद्धांत के कुछ महत्वपूर्ण अनुप्रयोग आशा करते हैं आपको पाउली अपवर्जन सिद्धांत क्या है कि परिभाषा अच्छे से समझ में आई होगी। अपवर्जन सिद्धांत के अनुप्रयोग निम्न प्रकार हैं –
- प्रिंसिपल क्वांटम संख्या अर्थात जिसे मुख्य क्वांटम संख्या कहते हैं और n से रिप्रेजेंट करते हैं, मैं भरे जाने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या 2n² के बराबर होती है।
- परमाणु के किसी मुख्य ऊर्जा स्तरों (Energy Levels)में कुल कक्षको की संख्या n² होती है।
- किसी कक्षक के भीतर केवल वही दो इलेक्ट्रॉन रह सकते हैं जो विपरीत चक्करण के होते हैं। विपरीत चक्रण को अंग्रेजी में spin क्वांटम नंबर कहते हैं।
- परमाणु के किसी कोष में कुल उपकोशों की संख्या मुख्य प्रिंसिपल क्वांटम नंबर अर्थात n के बराबर होती है।
क्वांटम संख्या किसे कहते हैं? What is Quantum Numbers?
किसी परमाणु के अंदर इलेक्ट्रॉन्स को पूरी तरह से define करने के लिए (जैसे की इलेक्ट्रॉन्स की ऊर्जा , कक्षक , चक्रण आदि) जिन संख्याओं की आवशयकता होती है उन नंबर्स को quantum numbers या क्वांटम संख्या कहते हैं। एक orbital में दो इलेक्ट्रॉनों के लिए प्रत्येक चार Quantum संख्या समान नहीं होती है ये संख्या चार प्रकार की होती हैं-
- मुख्य क्वांटम संख्या (Principal quantum number)
- दिगंशी क्वांटम संख्या (Azimuthal Quantum number)
- चुंबकीय क्वांटम संख्या (Magnetic quantum number)
- चक्रण क्वांटम संख्या (Spin Quantum Number)
अपवर्जन सिद्धांत के उदाहरण समझाइए
इस नियम के उदाहरण को हम अपने इस लेख पाउली अपवर्जन सिद्धांत क्या है में एक प्रश्न के माध्यम से समझाएंगे। तो चलिए देख लेते हैं की वह प्रश्न क्या है –
प्रश्न कुछ इस प्रकार है की n=1 जिसे हम मुख्य क्वांटम संख्या भी कहते हैं, के लिए इलेक्ट्रॉन की कुल संख्या और हर electron के लिए विभिन्न quantum numbers का मान बताइए?
n=1 के लिए ऊर्जा स्तर में सिर्फ दो इलेक्ट्रॉन ही पाए जाते हैं जो विपरीत चक्रण के होते हैं और इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1n² होता है।
n=1 के लिए
l और m का मान शून्य होता है तथा s= +½ और -½ होता है।
यहां पर s, spin क्वांटम संख्या है।
S उपकोश में पहले इलेक्ट्रॉन के लिए spin क्वांटम no का मान +½ तथा दूसरे इलेक्ट्रॉन के लिए स्पिन या चक्रण क्वांटम संख्या का मन – ½ होता है।
अब आप इस उदाहरण के माध्यम से समझ गए होंगे की पाउली अपवर्जन सिद्धांत क्या है? और आपको यह भी पता चल गया होगा की दोनों इलेक्ट्रॉनों के चक्रण क्वांटम संख्या का मान एक दूसरे के विपरीत है।
पाउली अपवर्जन सिद्धांत क्या है से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न – पाउली ने अपना अपवर्जन का सिद्धांत कब दिया था?
उत्तर यह नियम पाउली के द्वारा सन 1925 में दिया गया था।
प्रश्न – अपवर्जन का अर्थ क्या है?
उत्तर इसका अर्थ होता है अलग होना या भिन्नता रखना।
प्रश्न – पाउली का पूरा नाम क्या है?
उत्तर वैज्ञानिक पाउली का पूरा नाम वुल्फगांग पाउली है।
प्रश्न – परमाणु की खोज किसने की?
उत्तर वैज्ञानिक जॉन डाल्टन को परमाणु का खोजकर्ता माना जाता है।
निष्कर्ष
दोस्तों हमने अपने आज के इस आर्टिकल में पाउली के अपवर्जन नियम को जाना अर्थात हमने बात की पाउली अपवर्जन सिद्धांत क्या है? Pauli exclusion principle in Hindi के बारे में। इसके अलावा इस नियम के अनुप्रयोग और उदाहरणों पर भी प्रकाश डाला। आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा और आपके लिए जानकारी पूर्ण रहा होगा। इस लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न बाकी रह गया है तो आप हमें प्रतिक्रिया दे सकते हैं। हम आपको शीघ्र ही reply करने की कोशिश करेंगे। बहुत जल्द मिलेंगे एक नए आर्टिकल में।